शुक्रवार, 21 अगस्त 2009
बडप्पन क्या होता हॆ, वह मुझे समझा गयी
उसे लोग कगदी कह कर बुलाते हॆ। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पायी जाने वाली भिम्मा जाति से वह संबध रखती है । यह जाति परम्परागत आदिवासी लोक गीतों का गायन कर अपना जीविकापार्जन करती है। समय के साथ इनमे भी काफी बदलाव आ चुका है ,और धीरे धीरे समाज की मुख्य धरा से जुड़ते जा रहे है। हां मै कगदी के बारे में बता रहा था । बीस वर्ष पहले की बात हॆ ,उस समय कगदी अपने जीवन के करीब बाईस बसंत पार कर चुकी थी। सुंदर कद काठी के अलावा ईश्वर ने उसे गजब की आवाज प्रदान की थी। जब वह गाती समां बन जाता। ग्राम प्रधान होने के कारण ये लोग अपनी समस्याओं को लेकर मेरे पास आते रहते थे। एक दिन मेरे परचित रमजान के साथ राजेश नामक पशु व्यापारी मेरे आस आया । वह काफी परेशान लग रहा था । रमजान ने मुझे बताया की कगदी इन्हे परेशान कर रही है,अपनी नव जात बच्ची का पिता इन्हे बतला रही है। राजेश ने मुझसे कहा कि 'ठाकुर साहब आप उसे समझाइये मेरा उसके साथ कभी ऐसा सम्बन्ध नही रहा है,सिर्फ पॆसो के लालच में आकर वह ऎसा कर रही है, मॆ एक इज्जतदार आदमी हू उसकी इस हरकत से मेरी बहुत बदनामी होगी'। मॆने कगदी को उसकी बच्ची के साथ बुलवाया। अपनी दो माह की बच्ची को लेकर वह आयी। बच्ची को उसने आचल से ढक रखा था। मैने कगदी से नवजात कन्या का चेहरा दिखाने के लिए कहा। बच्ची को मॆ देखता ही रह गया , हू ब हू राजेश की तरह। मॆने उससे पूछा ,ये तुम्हारी संतान नही है? वह जवाब नही दे पाया,बस गिडगिडाते हुए बोला 'मेरी इज्जत बचा लीजिये जो कहेगे मॆ पैसा देने को तैयार हू। मेरे क्रोध की सीमा न रही,हाथ उठते उठते रह गया । मॆने उससे पूछा क्या यही तुम्हारा बड़प्पन है,क्या इस लड़की की कोई इज्जत नही है। अपने सम्मान को समाज व परिवार के नजरो में बचाने के लिए इसकी आबरू की कीमत लगा रहे हो । इस मासूम लड़की के बारे में सोचो ,है तो तुम्हारा ही खून। उसने बच्ची को देखा ,आखे डबडबा गई । कगदी की गोद से लड़की को उठा कर अपने सीने से लगा लिया। राजेश ने मुझसे कहा कि मॆ इसे पत्नी का दर्जा दूगा। कगदी ने उसके साथ जाने से इन्कार कर दिया। उसने मुझसे कहा कि साहब मॆने यह बात किसी से नही कही ,ये ख़ुद मेरे परिवार वालो से बोला था कि शादी करके मुझे अपने साथ ले जायेगा पर इसने मुझे ही दोषी बना दिया । आज सुबह लड़की व मेरे लिये कपडे ले कर गया था, ऒर अब कह रहा हॆ कि मेरी ऒलाद ही नही हॆ। मुझे इससे कोई पॆसा नही लेना मॆ अपनी बिटिया को पाल लूगी। ऒर उसने जो कहा वह करके दिखा दिया.
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समाज का यह कडुआ सच न जाने कब खत्म होगा,कब खत्म होगी यह ऊच नीच की दिवार
जवाब देंहटाएंसही अपने आत्म सम्मान को नहीं बेचा उसने . वन्दनीय
जवाब देंहटाएंऐसी कई कागदी हैं जो तकलीफ सह लेती हैं पर आत्म सम्मान को नहीं बेचतीं.
जवाब देंहटाएंbahut prerak hai kagdi..sach aatm-samman ko sambhal ke rakhna koi kagdi se seekhe..
जवाब देंहटाएंbadhai
http://som-ras.blogspot.com
is nayi shuruat ke liye badhai .sundar lekh ke liye bhi .subject achchha chuna hai .
जवाब देंहटाएंAapka swagat hai... isi tarah likhte rahiye...
जवाब देंहटाएंhttp://hellomithilaa.blogspot.com
Mithilak Gap...Maithili Me
http://mastgaane.blogspot.com
Manpasand Gaane
http://muskuraahat.blogspot.com
Aapke Bheje Photo
बहुत वाडिया. Waakai mein. जारी रहें.
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उल्टा तीर पर पूरे अगस्त भर आज़ादी का जश्न "एक चिट्ठी देश के नाम लिखकर" मनाइए- बस इस अगस्त तक. आपकी चिट्ठी २९ अगस्त ०९ तक हमें आपकी तस्वीर व संक्षिप्त परिचय के साथ भेज दीजिये. [उल्टा तीर] please visit: ultateer.blogspot.com/