आ साथी, अब दीप जलाएँ
लगी निशा होने है, गहरी
घोर तिमिर होगा अब प्रहरी
अपनी अभिलाषाओं को फिर से,निंद्रा-पथ की राह दिखाएँ
आ साथी, अब दीप जलाएँ
है पावस की रात अँधेरी
घन-बूँदों की सुन कर लोरी
शायद नीड़-नयन में लौटे,हमसे रुठी कुछ आशाएँ
आ साथी,अब दीप जलाएँ
आयेगी उषा की लाली
नही रात ये रहने वाली
दीपशिखा की इस झिलमिल में,हम सपनों के महल सजाएँ
आ साथी,अब दीप जलाएँ
vikram
लगी निशा होने है, गहरी
घोर तिमिर होगा अब प्रहरी
अपनी अभिलाषाओं को फिर से,निंद्रा-पथ की राह दिखाएँ
आ साथी, अब दीप जलाएँ
है पावस की रात अँधेरी
घन-बूँदों की सुन कर लोरी
शायद नीड़-नयन में लौटे,हमसे रुठी कुछ आशाएँ
आ साथी,अब दीप जलाएँ
आयेगी उषा की लाली
नही रात ये रहने वाली
दीपशिखा की इस झिलमिल में,हम सपनों के महल सजाएँ
आ साथी,अब दीप जलाएँ
vikram
दीपशिखा की इस झिलमिल में,हम सपनों के महल सजाएँ
जवाब देंहटाएंआ साथी,अब दीप जलाएँ
kitni pyari tamanna hai!
Vikram,Aapki Hindi Adhik Achik Sundar Hai.Aapki Pratibha Aisehi Nikharati Rahe.......
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